Tuesday, July 21, 2015

जगसूर / गीर्ण



जगसूर / गीर्ण
शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने भाव घटोतरी/ बढ़ोतरी में लिखिए
- शर्त यही है कि दोनों शब्द एक जगह नही होने चाहिए.
- इसमें से एक शब्द घटोतरी में और एक शब्द बढ़ोतरी में होना चाहिए 
- भाव मौलिक हो और चार पंक्तियों की हर पंक्ति अपने में भाव कहने में सक्षम हो - अधूरी न लगे अगर अलग से पढ़ा जाए.

प्रजापति शेष 
प्रथमत: नमस्कार स्वीकार करे
हे काव्य जगसूर,
समय नहीं 
साथ 
++++
लेखन 
सिमित है  
गीर्ण का अर्थ 
क्षमा करे ज्ञात नही 

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
प्रजा अपने जगसूर को आदर्श मानती है
राजा प्रजा में संवाद जरुरी है
अमीर गरीब का भाव मिटाकर
नई पहल करनी है
---------
योग की महिमा
सर्वविदित है गीर्ण है
धर्म संस्कृति का हिस्सा है
योग की विश्व में बनी पहचान


प्रभा मित्तल 
राष्ट्र का जगसूर होना कठिन नहीं है
भारी है राष्ट्र का संचालन करना
अच्छे संचालन से संवर्द्धन है
संवर्द्धन है संगठन से
~~~~~~~~~~~~~~~~~
संविधान में गीर्ण हैं 
व्यक्ति के अधिकार और कर्तव्य
भारतीय नागरिकों के लिए निश्चित हैं
सार्वजनिक हितों की रक्षा भी जरूरी है


इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की " https://www.facebook.com/groups/seedhi/

Monday, June 1, 2015

'यामकिनी' एवं 'यक्षण'


'यामकिनी' एवं 'यक्षण'
शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने भाव घटोतरी/ बढ़ोतरी में लिखिए
- शर्त यही है कि दोनों शब्द एक जगह नही होने चाहिए.
- इसमें से एक शब्द घटोतरी में और एक शब्द बढ़ोतरी में होना चाहिए 
- भाव मौलिक हो और चार पंक्तियों की हर पंक्ति अपने में भाव कहने में सक्षम हो - अधूरी न लगे अगर अलग से पढ़ा जाए.

  • नारी 
    शक्ति है

    परिवार का स्तम्भ
    वही यामकिनी कहलाती है
    ***************
    हर कर्म यक्षण कहलाता है
    कर्म की रीत यही
    कर्म ही धर्म
    करो सुकर्म

  •  बेटी बन
    आई है वह
    दुलारी है हम सबकी

    घर की रौनक मेरी 'यामकिनी।'
    ****************************
    सुधरेगा इहलोक और परलोक भी 
    पाएँगे पुण्यप्रताप बड़ों से
    नित्यप्रति करें हम 
    'यक्षण' उनका।
    .....................
    (यामकिनी- पुत्रवधू ; यक्षण- पूजा करना)

इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की " https://www.facebook.com/groups/seedhi/

Friday, March 6, 2015

'अराजकता' एवं 'प्रजातंत्र'

'अराजकता' एवं 'प्रजातंत्र'
शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने भाव घटोतरी/ बढ़ोतरी में लिखिए

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 


चारो और फैली है

समाज को डसती
खोखला करती
अराजकता 
**********
प्रजातंत्र है
राजनिति का अखाड़ा
स्वतंत्रता का मजाक उड़ाता
संस्कृति और संस्कार को ढोता


कुसुम शर्मा . 


अंधेर नगरी और चौपट राजा”

देखो कैसा कलयुग आया
सर्वत्र फैली है
ये अराजकता
+++++++++++++++
प्रजातंत्र
सर्वोतम पद्धति
इतिहास इसका पुराना
क्या हमने इसको जाना


इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की " https://www.facebook.com/groups/seedhi/