Monday, April 22, 2013

'परिवर्तन' व 'प्रकृति'


'परिवर्तन' व 'प्रकृति' शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने भाव घटोतरी/ बढ़ोतरी में लिखिए - शर्त यही है कि दोनों शब्द एक जगह नही होने चाहिए इसमें से एक शब्द घटोतरी में और एक शब्द बढ़ोतरी में होना चाहिए 

किरण आर्य 
परिवर्तन नियम है संसार का
सुख दुःख अपने हाथ
बहता जीवन साथ
समझो बात
...................
प्रकृति
जीवन-दायिनी
मत करो खिलवाड़
समझो मानुष इसके जज़्बात

सुनीता शर्मा 
प्रकृति के सदा होते रंग निराले
खेलती हर समय नए खेल
विपदा में वह दिखाती
अपना असल रूप
-----------------------------
परिवर्तन हरदम
करे हर समाज
उन्नति हो या पतन
देशवासी पर पड़ता इसका प्रभाव !


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल .
परिवर्तन 
किसमे लाऊं
सोच रहा हूँ
ये आईना बदल दूं
-----------------
प्रकृति से प्रेम जरुरी है
खिलवाड़ इससे करना नही
भूख और प्यास
बुझाती ये


अलका गुप्ता 
निहारता मन
रूप प्रकृति का
होकर विह्वल मगन हैं
सुन्दर विलक्षण मनोरम मुग्ध क्षन
------------------------
पल-पल परिवर्तन हैं यहाँ
रूप रंग क्षन ये
नश्वर है सब
निश्चित यहाँ


प्रभा मित्तल 
परिवर्तन चलता रहा
जमाना भी बदलता रहा
नहीं हुआ विस्मृत वो बचपन ,
वो घर जो छूटा जमाना पुराना।
--------------------------------------
प्रकृति तो ईश्वर की विलक्षण देन है
इसकी हिफ़ाजत न कर सके हम
इंसान का कहर इस पर
हर रोज बरसता रहा।



इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की " https://www.facebook.com/groups/seedhi/