Monday, June 1, 2015

'यामकिनी' एवं 'यक्षण'


'यामकिनी' एवं 'यक्षण'
शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने भाव घटोतरी/ बढ़ोतरी में लिखिए
- शर्त यही है कि दोनों शब्द एक जगह नही होने चाहिए.
- इसमें से एक शब्द घटोतरी में और एक शब्द बढ़ोतरी में होना चाहिए 
- भाव मौलिक हो और चार पंक्तियों की हर पंक्ति अपने में भाव कहने में सक्षम हो - अधूरी न लगे अगर अलग से पढ़ा जाए.

  • नारी 
    शक्ति है

    परिवार का स्तम्भ
    वही यामकिनी कहलाती है
    ***************
    हर कर्म यक्षण कहलाता है
    कर्म की रीत यही
    कर्म ही धर्म
    करो सुकर्म

  •  बेटी बन
    आई है वह
    दुलारी है हम सबकी

    घर की रौनक मेरी 'यामकिनी।'
    ****************************
    सुधरेगा इहलोक और परलोक भी 
    पाएँगे पुण्यप्रताप बड़ों से
    नित्यप्रति करें हम 
    'यक्षण' उनका।
    .....................
    (यामकिनी- पुत्रवधू ; यक्षण- पूजा करना)

इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की " https://www.facebook.com/groups/seedhi/

No comments:

Post a Comment

शुक्रिया आपकी टिप्पणी व् सराहना के लिए !!!