'अराजकता' एवं 'प्रजातंत्र'
शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने भाव घटोतरी/ बढ़ोतरी में लिखिए
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
चारो और फैली है
समाज को डसती
खोखला करती
अराजकता
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प्रजातंत्र है
राजनिति का अखाड़ा
स्वतंत्रता का मजाक उड़ाता
संस्कृति और संस्कार को ढोता
कुसुम शर्मा .
अंधेर नगरी और चौपट राजा”
देखो कैसा कलयुग आया
सर्वत्र फैली है
ये अराजकता।
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प्रजातंत्र
सर्वोतम पद्धति
इतिहास इसका पुराना
क्या हमने इसको जाना
इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की "
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