'रामायण' एवं 'समाज' शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने भाव घटोतरी/ बढ़ोतरी में लिखिए - शर्त यही है कि दोनों शब्द एक जगह नही होने चाहिए इसमें से एक शब्द घटोतरी में और एक शब्द बढ़ोतरी में होना चाहिए .... भाव मौलिक हो .....हर पंक्ति अपने में भाव कहने में सक्षम हो - अधूरी न लगे अलग से पढ़ने में.
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ....
रामायण
हमारा आइना
सामाजिक दृष्टी से
आध्यात्म भाव से भी
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समाज आज दो राहे पर है
इन्सान धर्म और कर्म भूला
परिवर्तन से कर दोस्ती
इंसानियत को भूला
सुनीता शर्मा
सदियों से रामायण
संस्कारों की उत्तम पाठशाला
देती संयुक्त परिवार को महत्व
जीवन मूल्यों का उत्कर्ष ज्ञान भंडार
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समाज बढ़ रहा विघटन की ओर
एकल परिवार ने पकड़ा जोर
संस्कार विहीन अब बच्चे
बन गए चुनौती
कुसुम शर्मा
रामायण जहां आंखों को नम कर जाती
वहीं महाभारत युगधर्म निभाने की प्रेरणा देती है,
गीता में ज्ञान, कर्म एवं भक्ति संगम मिलता है,
त्याग और आदर्श की पराकाष्ठा प्रस्तुत करने वाले ग्रंथ रामायण !
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भारतीय समाज में बढ़ रहा है अत्याचार
क्यों नहीं करते सब ये विचार
देश खड़ा पतन के कगार
क्या यह है संस्कार
डॉ. सरोज गुप्ता
रामायण
उत्तम कृति
भारत की विभूति
विश्व में परचम फहराती !
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तुमने मुझे क्यों समझा नहीं
मुझे क्यों पहचाना नहीं
तुम्हारा ही बनाया
'समाज' हूँ !
किरण आर्य
समाज का आईना
हमारे आचार और विचार
संस्कृति और संस्कार धरोहर हमारी
इनसे सुसज्जित कहलाता मेरा भारत महान
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रामायण केवल नहीं एक धर्म ग्रंध
नैतिक मूल्यों का है दर्पण
अमूल्य निधि है हमारी
भावो का तर्पण
किरण आर्य
समाज का आईना
हमारे आचार और विचार
संस्कृति और संस्कार धरोहर हमारी
इनसे सुसज्जित कहलाता मेरा भारत महान
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रामायण केवल नहीं एक धर्म ग्रंध
नैतिक मूल्यों का है दर्पण
अमूल्य निधि है हमारी
भावो का तर्पण
इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की "
https://www.facebook.com/groups/seedhi/
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