'भ्रम' एवं 'विनम्र'
शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने भाव घटोतरी/ बढ़ोतरी में लिखिए - शर्त यही है कि दोनों शब्द एक जगह नही होने चाहिए इसमें से एक शब्द घटोतरी में और एक शब्द बढ़ोतरी में होना चाहिए .... भाव मौलिक हो .....हर पंक्ति अपने में भाव कहने में सक्षम हो - अधूरी न लगे अलग से पढ़ने में.
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
भ्रम
उपजाए शक
रिश्ते जाए बिखर
विश्वास का पहुंचे ठेस
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बड़ो का हो आदर
छोटो से प्यार
इन्सान बनो
विनम्र
किरण आर्य
मन के खोखले हाय भ्रम
कर देते जीना दुश्वार
रिश्तो में दरार
टूटा मन
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बन विनम्र
जीत हर मन
सत्कर्मी हो तेरे कर्म
कहलाये तभी तू सभ्य जन
अलका गुप्ता
समझो !
तुम ठगिनी !
माया जंजाल हो !
आकर्षण भ्रम फांस हो !
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विनम्र निवेदन सौगात ये !
कन - कन है
एक ईश्वर
वास !
कौशल उप्रेती
मन में
अक्सर रहता है
कुछ खोने का भ्रम
और कुछ पाने की आस
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कभी भटकता चंचल निरीह एहसास
कभी विनम्र सोभित ख्वाब
अक्सर रहता हैं
मन में
कुसुम शर्मा
ये सारा संसार
माया का जाल है
इस के भ्रम में फसे
सभी इस की माया से अनजान
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विनम्र मन से कर रही हूँ प्रार्थना
हे प्रभु मुझको बचाना इस माया
के जाल से, रखना सदा
हाथ अपना सिर पर
सुनीता शर्मा
भ्रम जंजाल
अक्सर हमे भटकाए
पैदा करता वैर वैमनस्य
जीवन बनता जिससे फिर निर्थक
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रिश्ते निखरते हैं विश्वास पर ,
विनम्र भाव बनता आधार ,
मृदुल भाषा बनाता
सुंदर संसार
इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की "
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