'यामकिनी' एवं 'यक्षण'
शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने भाव घटोतरी/ बढ़ोतरी में लिखिए
- शर्त यही है कि दोनों शब्द एक जगह नही होने चाहिए.
- इसमें से एक शब्द घटोतरी में और एक शब्द बढ़ोतरी में होना चाहिए
- भाव मौलिक हो और चार पंक्तियों की हर पंक्ति अपने में भाव कहने में सक्षम हो - अधूरी न लगे अगर अलग से पढ़ा जाए.
- नारी
शक्ति है
परिवार का स्तम्भ
वही यामकिनी कहलाती है
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हर कर्म यक्षण कहलाता है
कर्म की रीत यही
कर्म ही धर्म
करो सुकर्म
- बेटी बन
आई है वह
दुलारी है हम सबकी
घर की रौनक मेरी 'यामकिनी।'
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सुधरेगा इहलोक और परलोक भी
पाएँगे पुण्यप्रताप बड़ों से
नित्यप्रति करें हम
'यक्षण' उनका।
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(यामकिनी- पुत्रवधू ; यक्षण- पूजा करना)
इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की " https://www.facebook.com/groups/seedhi/
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