'कृति' और 'कीर्ती' शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने भाव घटोतरी/ बढ़ोतरी में लिखिए - शर्त यही है कि दोनों शब्द एक जगह नही होने चाहिए इसमें से एक शब्द घटोतरी में और एक शब्द बढ़ोतरी में होना चाहिए
Yogesh Raj
जिसकी है कृति,
व्योम, वसुंधरा, ब्रह्माण्ड की,
जिसने की व्यवस्था पवन पानी की,
अर्चना करूं उस जीवन-दात्री प्रकृति की,
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समस्त विश्व में कीर्ति है जिस शक्ति की,
श्रद्धा अर्पित होती है जिसको विभिन्न रुपी,
हर प्राणी पर जिसकी दया-दृष्टि,
वंदना करूं उस प्रकृति की.
भगवान सिंह जयाड़ा
कृति,
होती है ,
मन का आइना ,
दिखाये ख्वाबों की तस्वीर ,
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जितना निखारो तस्वीर को ,
सबके मन भाये ,
और बढाए ,
कीर्ती,
Bahukhandi Nautiyal Rameshwari
कृति हम ।
उस जननी की ।
लफ्ज़ जिसे देते "माँ"।
माँ लफ्ज़ छिपी है "आह"।।
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माँ देखो फूला नहीं समाती ।।
जब संतान कीर्ति पाती ।
प्रशंसको की ज़मात ।
माँ सौगात ।
सुनीता शर्मा
ईश्वर की कृति हैं हम सब
रखे सभी सबके संग समभाव
जात पात भेद भुलाकर
रचे नव भारत !
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करें उन्नत कार्य
जागे मानवतावाद हर दिशा
बढ़े प्यार मैत्री के भाव
सभी गाएँ अब भारत कीर्ति गान
किरण आर्य
ईश्वर की कृति है हम
उसने है सृष्टि गढ़ी
रखे मान हम
कर सत्कर्म
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कर सत्कर्म
कीर्ति गाये जग
बन प्रेरणा स्त्रोत तू
दीये सम जहां रौशन कर
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
कीर्ती और यश फैलेगा
मान सम्मान मिलेगा
करते रहो
सत्कर्म
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कृति
भगवान की
इंसान या सृष्टी
सब में उसका वास
अलका गुप्ता
सत्कर्मों से !
महका दो सबको
पुलकित हो हर मन
हो गुंजित कीर्ति गान से
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कृति में जीवन भर देता
भाव अर्पण कर देता
तादात्म से
कृतिकार !
इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की "
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