Wednesday, January 30, 2013

अर्पण

( अर्पण शब्द का प्रयोग करते हुए मित्रो/सदस्यों के भाव घटोतरी बढ़ोतरी में )



प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

तेरा तुझको ही करता अर्पण
फिर भी मांगता तुझसे
लेन देन करता
मतलबी इंसान
---------------
आओ जाने
समर्पण हो कैसा
प्रेम में त्याग जैसा
रण भूमि में शहीद जैसा

Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 


ये माँ का जीवन ।
समग्र जीवन संतान को अर्पण ।
अपनी ही छवि देखे उनमे वो ।
उसकी संतान ही, हो उसका ज्यूँ दर्पण ।।
-------------------
दुर्भाग्य ये कैसा, मिटा दर्पण माँ का ।
फ़िल्मी किरदार दीवारों पर सजा रहे ।
माँ मेरा जीवन अर्पण तुझे।
मैं माँ का जीवन ।।


भगवान सिंह जयाड़ा 

अर्पण क्या करू प्रभु तुमको
तुम्हारे लायक कुछ नहीं
ध्यान तुम्हारा नित
करता हूँ
****************
अर्पण तुमको
यह भक्ति मेरी
दया सदा बनाए रखना
बिचलित ना पथ से करना


किरण आर्य 

अर्पण ये तन मन चरणों में तेरे
हे मनमोहना ईश् तुम्ही हो मेरे
तुझ बिन अधूरे साँझ सवेरे
तुम्ही सखा बंधू मेरे
...................
मुस्काते मनमोहना तुम्ही
अंखियों में आन बसे
अहसासों से सजी रूह तोरे
अर्पण हर भाव हृदय का मोरे

सुनीता शर्मा 


मन से हर भाव किया अर्पण
पूर्ण न हो पाया स्वप्न
अधूरा रहा शायद समर्पण
श्री साईं मेरे
-------------
सुन प्यारी धरती माँ
तेरे वात्सल्य पर समर्पित हम
अत्याचारी चिन्तन न बढ़ जाएँ अब
जीवन अर्पण कर देंगे तेरी सुरक्षा में .!....



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Monday, January 28, 2013

"त्याग"


‎'त्याग' शब्द का प्रयोग करते हुए दोनों भाव [ घटोतरी और बढ़ोतरी ] 


डॉ. सरोज गुप्ता 

त्याग तेरा क्या लौटा पायेगी सरकार
पद्मश्री पद्मविभूषण जैसे तमगों से
मोल हेमराज शीश का
तिरंगा झंडा महान !
---------------
जन्मा भारत -रत्न
रखते तिजौरी में सयत्न
जाग गया जिससे भारत भाग
ऐसे रत्न का तूने किया त्याग !



Pushpa Tripathi 


त्याग की मूरत साक्षात स्वरूपा
धरणी माता सुख दायनी
हरित वेश में
तेजस्विता प्रदान
~~~~~~~~~
परोपकार सेवा
सत्कर्म है धर्म
करता चल निःस्वार्थ भाव
त्याग का तू ले वरदान




किरण आर्य 


जगत मोहमाया में क्यों उलझे मन
मिथ्या भ्रम सब रिश्ते नाते
सच्ची लौ रोशन कर
त्याग मोह चोला
.................
मन मीरा समान
खोकर सर्वस्व हरी मिले
सिर्फ पाना नहीं है औचित्य
प्रेम त्याग विश्वास भक्ति का नाम




प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 


त्याग कहते है जिसे सभी
उसने स्वार्थ नही होता
केवल होता बलिदान
इच्छाओ का
-----------
मानो न मानो
रिश्तो में प्रेम का
और प्रेम में त्याग का
हमेशा ही विशिष्ट स्थान होता है


************

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Saturday, January 26, 2013

भारत


("भारत" शब्द का प्रयोग करते हुए दोनों भाव [ घटोतरी व् बढ़ोतरी ] में लिखिए ---- हां पंक्ति तो चार ही)

गिरीश जोशी

मेरा भारत देश
तिरंगा इसकी शान है
सहेज हुए है अनेकता, विविधता
और उसपे एकता जो इसकी पहचान है
-------------------- 
मेरा सौभाग्य कि ये देश है मेरा
इस भूमि में हुआ जन्म मेरा
यही तमन्ना कि करूं सेवा
ताउम्र अपने भारत की


किरण आर्य 

हाँ कमजोरियां लाखो सही 
फिर भी महान 
शान हमारी 
भारत 
-----
भारत 
मेरा देश 
प्रेरणा है हमारी 
संस्कृति संस्कारों से सुसज्जित 


प्रभा मित्तल 

भारत 
देश न्यारा
प्राणों से प्यारा
अमर रहे गणतंत्र हमारा 
-----------------------
शहीदों की कर्मस्थली यह
देवों की जन्मभूमि
प्रणम्य है 
भारत !


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

मेरा भारत 
विश्व गुरु कहलाता 
शान से लहराता तिरंगा
विश्व भर में नाम हमारा 
------- 
यहाँ है देवी देवताओ का वास 
गुरु का करते सब सम्मान 
अतिथि को देते मान 
मेरा भारत महान

Mahendra Singh Rana 

भारत का गणतंत्र है महान
कहते है सब कद्रदान
इसमे पलते बेईमान
गणतंत्र पहलवान
............... ......
आखिर
कब तक
भारत का गणतंत्र
विश्व मेँ परचम लहरायेगा?


भगवान सिंह जयाड़ा 

जन जन का यह नारा ,
भारत प्यार देश हमारा ,
इस की आन ,
हमारी शान ,
***********
हमारी जान ,
हमारी आन ,बान ,
हमारा भारत देश महान ,
कभी न घटे इसकी शान ,




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Friday, January 25, 2013

प्रार्थना - बढ़ोतरी/घटोतरी भाव में

(आज 'प्रार्थना' शब्द - बढ़ोतरी/घटोतरी भाव में मित्रो द्वारा )



नूतन डिमरी गैरोला 

प्रथम
हो प्रार्थना
स्वागत हो फिर
धन्य जान, करूं गुणगान
-----------------------
पैर पखारूँ अश्रुजल से
चख बेर खिलाऊं
अतिथि बनो
राम|


सुनीता शर्मा 

प्रार्थना होती सदा
सुंदर मनोभावों की लड़ी
ईश्वरीय अनुभूतियों को संवारती रहती
बनती उन्नत जीवन की श्रेष्ठतम परिधि
------------------------------------
आयें निश्चित शब्दों को संग्रह करें
भावों के संग अर्पित करें
सुंदर लयबद्ध अलंकर्ण करके
अब लिखें प्रार्थना

Yogesh Raj 

प्रबल इच्छा मेरी,
हार्दिक यह भावना मेरी,
मानव-सेवा में व्यतीत करूं,
संपूर्ण जीवन मै, यही प्रार्थना मेरी.
............................................
प्रार्थना करूं, जाति-धर्म से ऊपर उठकर,
परस्पर सौहार्द को मै अपना कर,
प्रस्तुत करूं आदर्श उदहारण मै,
जीवन में होऊं अग्रसर.


प्रभा मित्तल 

प्रार्थना है
ईश्वर से यही
सन्मति देना मुझे सदा
पुरुषार्थ करते बीते जीवन मेरा
-----------------------------
कोई तो है अदृश्य शक्ति
जो चलाती है ब्रह्माण्ड
वही ईश्वर है
प्रार्थना योग्य।


भगवान सिंह जयाड़ा 

यह प्रार्थना ,
तुम से भगवान ,
सदबुद्धि दे हम को ,
करो सर्व जगत का कल्याण ,
***************************
स्वीकारो प्रार्थना हे दया निधान ,
धरुं नित तुम्हारा ध्यान ,
तुम्हारी लीला महान ;
करुणा निधान.


डॉ. सरोज गुप्ता 

प्रार्थना
करती थी
रोज सुबह मैं
जब छोटी बच्ची थी !
-----------------------
मांगूं यह भीख तुमसे
दे दो वरदान
आजीवन करूँ
प्रार्थना !

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल

मन में श्रद्धा रख
कर्म करता चल
साथ में
प्रार्थना
------
प्रार्थना
रोज करूँ
मांगू केवल इतना
सबका कल्याण हो प्रभु


गिरीश जोशी

बस इतनी सी है कामना
मेरा हाथ प्रभु थामना
कोई स्वार्थ ना
यही प्रार्थना
----------
मेरी प्रार्थना
सुन लो प्रभु
तुममें मन लग जाय
फिर चाहे छूट जग जाय


Pushpa Tripathi 

प्रार्थना मेरी
सुनो प्रभु मोरी
सब जीव, सुख पावै
रहे सत्कर्म, शुभ मंगल काजा .....
~~~~~~~~~~~~~~~
आशीष तुम्हार, सदा बनी रहे हम पर
बरसे कृपा, नित अनुज हम पर
दर्शन अभिलाषी, मन है मेरा
प्रार्थना हमरी, सुनो गिरधारी

किरण आर्य 

सकल भाव मन के अर्पित
चरणों में ईश् तुम्हारे
रहे सभी सुखी
प्रार्थना यहीं
----------
प्रार्थना यहीं
करे ह्रदय मोरा
जीवन सार्थकता सत्कर्म संग
मार्गदर्शित करो प्रतिपल राह मेरी



संगीता संजय डबराल 

हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े,
मांगें सबकी,खैर, ख्वाहिशे,
कर स्वीकार दाता
मेरी प्रार्थना
=========================
सच्चा प्रयास,
कर्मकांड से परे,
ईश्वर से सीधा सवांद,
प्रार्थना है अंतरात्मा की चेतना


Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 

मैं नारी हूँ,
यही प्रार्थना करती हूँ ।
ऊँची उड़ान , हर बिटिया को .
अपने दामन, अनगिनत पंख रखती हूँ ।।
-------------
प्रार्थना में, नन्ही बिटिया मांगती हूँ ।।
ममता की मोरी, चुनर कोरी ।।
बिन बिटिया, अम्मा मोरी ।।
मैं जननी हूँ ।


बलदाऊ गोस्वामी 

प्रार्थना करुँ मै,
करुँ मै सुमिरन नाम।
तु है पालक हम सेवक,
सुन लो ईश्वर तु दया निधान।।
....................
उस शासवत ईश्वर का गुणगान करुँ,
जो जग में पालन हार।
हे निरंकारी तु ईश्वर,
प्रार्थना करुँ तेरी।।



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Wednesday, January 23, 2013

"भगवान"

इस पोस्ट के लिए जो शर्त थी वह इस प्रकार थी 
‎"भगवान" शब्द को अपने भावो [घटोतरी और बढ़ोतरी ] में चार पंक्तियों में प्रस्तुत करना था 
घटोतरी की पहली पंक्ति में और बढ़ोतरी की अंतिम पंक्ति में इस शब्द का प्रयोग होना अनिवार्य था  

संगीता संजय डबराल 

दुर्गुणों को दूर कीजिये भगवान्,
सद्गुणों का दीजिये वरदान,
शरणागत,लीजिये शरण,
पालनहार,करुणानिधान!
===================
हे द्यानिधान,
हम अज्ञान नादान,
तेरी रहमत से अनजान,
करो कृपा"भगवान्"हो कल्याण!


गिरीश जोशी
.
अरे नादान
क्यों है परेशान
कुछ करने की ठान
बाकी संभालने को है भगवान
-----------------------
भगावान नहीं है महज एक नाम
वो तो है एक अहसास
हर पल तेरे पास
तू क्यों उदास?


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 

भगवान मुझसे तू क्यों है रूठा
तुझ पर विश्वास मेरा टूटा
कर कुछ अब चमत्कार
मैं करूँ नमस्कार
----------------
मेरा विश्वास
हर पल बनाता
तू मुझको शक्ति देता
करूँ तेरा गुणगान हे भगवान

डॉ. सरोज गुप्ता 

भगवान
मेरे प्रतिबिम्ब
मेरे मार्गदर्शक हो
तुम्हें मेरा सब समर्पित !
---------------
मैं तुममें ही हूँ एकाकार
तुम मुझसे अछूते कैसे
जान पाऊंगी उत्तर
हे भगवान !


किरण आर्य 

भगवान मोरे कृपा दृष्टि तोरी
प्राणों में जीवन संचार
जीवन संवारो मोरा
नाथ मेरे
---------
दया सागर
कष्ट निवारक सबके
नैया मोरी भंवर फंसी
हे भगवान मोरे लगाओ पार



Yogesh Raj

भगवान, मै जब होता हूँ परेशान,
कर लेता हूँ ये ध्यान,
मुझसे ज्यादा दुखी हैं,
लाखों करोड़ों इंसान,
---------------------
मुझे दो ज्ञान,
जीवन सुखी बनाने को,
फूल चढाने मंदिर जाऊं तुम्हारे,
अथवा दान पुन्य सेवा करू, भगवान.



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Monday, January 21, 2013

आस्था



 ( 'आस्था' शब्द के साथ घटोतरी/बढ़ोतरी में मित्रो के भाव चार पंक्ति में )

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल  

मैंने जीवन से चाहा बहुत 
खोया पाया बहुत कुछ 
बस कायम रही 
मेरी आस्था 
------------
मेरी आस्था 
मेरा पूर्ण विश्वास 
मेरा जन्म उसके लिए 
मेरा सर्वस्व उसके आधीन है


संगीता संजय डबराल 

अमावस की स्याह रात और, 
आस्था के असंख्य दीप,
रौशन करते सदा,
संस्कारों को,
=============
आस्था के दीप 
और श्रधा की बाती
जीवन के व्याप्त अँधेरे को,
पल पल रौशनी से भर जाती


बालकृष्ण डी ध्यानी 

आस्था है 
तन मन की 
श्रद्धा उस मन की 
धारणा है भगवा रंग की 
**********************
प्रतीति है उस दोषसिद्धि की 
मत उस भक्ती की 
ईमान वो प्रत्यय 
है आस्था


किरण आर्य 

आस्था जो है मन बसी 
आत्मचिंतन से सदा वो फूली फली 
संस्कारों एवं संस्कृति के रंगों से सजी 
ईश् से कराये साक्षात्कार सकारात्मक भावो में हंसी 
............................................
नास्तिक को भी आस्तिक है बना जाती 
लौकिक से अलौकिक की पहचान कराती 
ध्यान मनन से बल पाती 
आस्था ईश्वर का रूप 


भगवान सिंह जयाड़ा 

आस्था है,
तो भगवान हैं, 
आस्था से गुरु ज्ञान , 
बिन आस्था सब जन अज्ञान ,
*******************
प्रभु में आस्था नित राखिये ,
सुमिरन करो नित ध्यान .
दूर होय अज्ञान ,
उपजे ज्ञान

आशीष नैथाऩी 'सलिल' 

पुष्प, जल
चढ़ाकर मिलती है
शान्ति अपार मन को
प्रभु ! यही है 'आस्था' मेरी ।।
----------------
'आस्था' दम घुटके मर गयी,
जब देखा सीढ़ियों पर
बिलखता हुआ बच्चा
मन्दिर में ।।


प्रभा मित्तल 

आस्था तो सबकी पूँजी है।
यह तो विश्वास है,
अदृश्य शक्ति है,
अमर है।
--------------
आस्था है,
जीवन का आधार।
मेरे लिए पुरुषार्थ में,
यही भक्ति है शक्ति भी।


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Sunday, January 20, 2013

जिंदगी

( 'जिंदगी' शब्द का प्रयोग करते हुए 'बढ़ोतरी' व् 'घटोतरी'  रूप में  सदस्यों के भाव  समूह सीढी -भावो की में )


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
जिंदगी 
एक सत्य 
फिर भी प्रश्न 
कैसे इसे जिया जाए 
-------------------
मैं उत्तर हर प्रश्न का 
मैं एक आस हूँ 
सब मुझे कोसते
कहते जिंदगी

Mahendra Singh Rana 

क्या
ए जिन्दगी
तुझसे मिल के
ये दिन देखना था?
..........................
ढूढ़ी उसमे जब अपनी जिन्दगी
दगा वो मुझे मेरा
यार बार-बार
दे गया।


सुनीता शर्मा 

जिन्दगी 
अदभुत नदी 
निरंतरता से बहती 
बनके सुख दुःख धारा 
_________________

दुखो के अपार समुंद्र में 
खुशियों के मोती छिपे 
उलझन हो कितने 
सुलझाती जिन्दगी 

प्रभा मित्तल 

जिन्दगी
आड़ी तिरछी
पगडण्डी से होकर
यौं ही गुज़रती रही।
......................
हार नहीं मानी कभी
मैंने हँसकर गुज़ारी 
साँवली सलोनी
जिन्दगी।

संगीता संजय डबराल 

जिंदगी
नित्य संघर्षरत,
तलाश ख्वाहिशों की 
भटकते दर-बदर हम,
===================
सकून कही हमें मिला नहीं, 
ढूढ़ते ही रह गये,
तलाश जारी है 
अभी जिंदगी

Pushpa Tripathi 

जिंदगी 
एक शब्द 
एक छोर तक 
भावार्थ रूप अर्थ समझती 
~*~*~*~*~*~*~*~*~
जिंदगी है, एक भिनसार उजाला 
घटता दोपहर, शाम अँधेरा 
घूमता समय चक्र 
निरंतर सदा .

आशीष नैथाऩी 'सलिल' 

जिन्दगी,
रह गयी
मोहताज साँसों की
कब आये, कब नहीं ।
-------------------
तेरी सोहबत ने जिन्दगी,
कैसा किया असर
भुला बैठे
उन्हें ।

Bahukhandi Nautiyal Rameshwari 

ज़िन्दगी किस गली बसर हो तुम ।
रोज पता खोजते हैं हम ।
न भीड़, न तन्हाई ।
क्यूँ नाराजी जताई ?
-----------------
ज़िन्दगी, चाहा तुझे ।
बेजान हूँ, दूरियां बनायीं ।
साँसों को मेरी, ज़रुरत तेरी।
देख, हुजूम खड़ा मय्यत को मेरी ।

श्री प्रकाश डिमरी

तू कहाँ खोयी 
जागी है या सोयी 
पत्थरों के अजनबी शहर में 
सहमी सहमी सांस लेती है जिंदगी 
--------- 
अबोध बचपन जैसी अनजान सी 
करती कभी हैरान सी 
कभी खिलखिलाती मुस्कुराती 
रुलाती जिंदगी

[शुक्रिया मित्रो ]
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Saturday, January 19, 2013

" सीढ़ी - भावो की " के प्रति कुछ भाव



~प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल~
आओ बढाकर हाथ 
चलो हम साथ चले 
शब्दों के बना कर घर 
भावो का एक नया शहर बसाएं
15 January at 19:22 (बढ़ोतरी)

**** ऊपर लिखे हुए "बढ़ोतरी" पर मित्रो के भाव बढ़ोतरी/घटोतरी में ****

~सुनीता शर्मा~
शब्दों की डगर 
भावों का मनोहारी सफ़र 
स्वजनों की स्नेही भावमयी घर 
चलें सभी हाथ पकड़ बन निडर
15 January at 19:27 (बढ़ोतरी)

~नैनी ग्रोवर~ 
चलो 
कहीं दूर 
भावों के नगर 
शब्दों की नाव बना 
15 January at 19:43 (बढ़ोतरी)

~Bahukhandi Nautiyal Rameshwari~
भावों का शहर ।
हो मज़बूत शब्दों सजा ।
जाल हटा दो द्वेष के ।
रंग भर लो प्रेम स्नेह के ।
15 January at 21:42  (बढ़ोतरी)

~किरण आर्य~ 
भावो का खूबसूरत शहर
शब्दों से निर्मित सलोना घर
सजाये इसे नेह विश्वास से मिलकर
अहसासों को दिशा देता दिल का नगर 
16 January at 11:29  (बढ़ोतरी)

~Pushpa Tripathi~
भावों के धागे में गूंथते है 
शब्दों के महकते फूल नये 
अर्पित करती माला निराली 
शब्द सीढ़ी समूह 
~*~*~*~*~*~*~*~*~
ले चले हम शब्दों का कारवां 
भावों के साथ समूह गान 
'प्रतिबिम्बजी' का संदेशा नया 
मिलकर साथ खुशहाल
17 January at 22:15 ( घटोतरी / घटोतरी)






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Friday, January 18, 2013

प्रतियोगिता 3


' मेरे जीवन साथी ' प्रतियोगिता 3 में भाग लेने वाले सभी मित्रो का शुक्रिया. सुनीता शर्मा जी इसमें निर्णायक भूमिका में थी .. आभार सुनिता जी [ इसमें https://www.facebook.com/groups/seedhi/192108994265510/ पढियेगा ] विजेता रहे इस प्रतियोगिता में प्रभा मित्तल जी एवं Virendra Sinha Ajnabi जी सभी प्रस्तुतियाँ विजेताओ के साथ इस प्रकार है

~प्रभा मित्तल~

मेरे जीवन साथी,
तुमसे ही मेरा श्रृंगार
सुख दुःख साथ जीये हमने,
तब पाया नेह भरा सुखी संसार।।
-----------------------------------
सच, मेरे जीवन का सम्बल तुम हो,
तुम ही कर्म,तुम्हीं फल हो,
तुम मेरे जीवन की थाती,
ओ मेरे जीवन साथी !!

~Virendra Sinha Ajnabi ~


ओ मेरे जीवन साथी,
तेरा साथ है इसीलिए तो,
ये जिंदगी मुझे है इतनी सुहाती,
तुम बिन इतनी मधुरता कहाँ से आती
.......................................................
इतनी मधुरता इस जीवन में कहाँ से आती,
अगर तुम मेरे जीवन में ना आती,
सपने न आते, नींद न आती,
तुम बिन, मेरे जीवन साथी

अन्य प्रस्तुतियाँ 

~सूर्यदीप अंकित त्रिपाठी~

कई रंग बिरंगे फूलों से रोशन सी,
प्रीत की कोई मीठी सी धुन,
दुनियां अपनी यूँ सजायेंगे हम,
मेरे जीवन साथी सुन
\\--//\\--//\\--//
मेरे जीवन साथी सुन,
साथ तेरा हरदम यूँ रहे
हाथ ये थामे रखना तू मेरा
खुशियाँ हो चाहे कोई ग़म ही रहे

~किरण आर्य~

मेरे जीवन साथी
मैं दीया तू बाती
जन्म जन्मांतर का है साथ
हाथों में रहे थामे मेरा हाथ
................
अहसास प्यार भाव तुम्ही मोरे पिया
चाहत जो मन बसी तेरी
मुझे सदैव राह दिखाती
मेरे जीवन साथी

~बालकृष्ण डी ध्यानी~

मेरे जीवन साथी
संग संग रहूँ तेरे
साथ साथ चलूँ मै तेरे
बनके रहूँ तू डाला मै पत्ती
*****************************
साथ साथ चलें कैसे हम तुम
राहें जुदा हैं दूर तुम
बैठे हम दोनों गुमसुम
मेरे जीवन साथी

~सुनीता शर्मा~

मेरे जीवन साथी
जीवन पथ के राही
सुख दुःख के हम संगी
वचन निबाहे सदा बन निस्वार्थी यूही
------------------------
जन्मो जन्मो का है सुंदर बन्धन
हो मेरी बगिया के चन्दन
तुमसे पाऊं प्रेरणा निसदिन
मेरे जीवन साथी

~बलदाऊ गोस्वामी~


मेरे जीवन साथी,
कितनी है तु निराली।
पविञ रिश्ता है हमारा तुम्हारा,
सीने से लगाता हमें जग सारा।।
..........................................
बडी निर्मल साथी तेरी माया है,
सुमन जैसे तेरी काया है।
सदा हो तुम मेरी,
मेरे जीवन साथी।।

~अर्चना ठाकुर~

मेरे जीवन साथी
सदा निभाते मेरा साथ
बन नदी के दो पाट
हम चले एक राह एक साथ ||
*****************************
सदा हो तुम मेरे साथ साथी
जीवन में छाए बन गाक्षी
संजीवनी बन कर तुम
मेरे जीवन साथी ||

~संगीता संजय डबराल ~

तेरे पहलू में दो पल जिंदगी है बहुत
बस एक पल की ख़ुशी है बहुत
हम साथ हैं और रहेंगे उम्रभर.
माँगू दुआ, मेरे जीवन साथी
==================
मेरे जीवन साथी
आस तुम,विश्वाश तुम,
हर ख्वाब हर आरजू तुम,
कामना हो मेरी, शुभकामना भी तुम,

~प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल~ 
(प्रोत्साहन हेतू)

कल तक तुम से अनजान था मैं
आज हर बात में शामिल तुम
हो साथ जन्म जन्मांतर का
बनकर मेरे जीवन साथी
------------
मेरे जीवन साथी
मोहब्बत से कही ज्यादा
दोस्त से कहीं बढ़कर तुम
यूँ ही रहना मेरे साथ तुम


प्रतियोगिता 2



' मेरा जीवन ' ये  प्रतियोगिता (२) के दो महत्वपूर्ण शब्द 
१.  पहला भाव घटोतरी जिसकी अंतिम पंक्ति 'मेरा जीवन'.
२. दूसरा भाव बढ़ोतरी मे जिसकी प्रथम पंक्ति 'मेरा जीवन'.

इसमें सभी प्रतियोगी विजेता रहे !!!

~किरण आर्य~


अंखियों में चातक सी प्यास
राह तकते नैन मोरे 
सजोई जो आस
मेरा जीवन
-----------
मेरा जीवन
बिन तेरे सूना
सजना मोरा घर अंगना
अँखियाँ ढूंढे तुझे दिन रैन 


~नैनी ग्रोवर~

मैं भी तो हूँ इंसान 
केवल तन नहीं हूँ 
क्यूँ भोग बना 
मेरा जीवन--!! 
_______
मेरा जीवन 
इक आस है 
इस जहां में रहें 
स्त्री-पुरुष दोनों ही समांतर

~संगीता संजय डबराल~

दर्द की राह, मांगे पनाहं 
त्याग बलिदान सब निराधार, 
अनेकों हैं किरदार, 
"मेरा जीवन"
------------
"मेरा जीवन"
तेरा आधार, सुन!
मैंने तुझे दिया आकार,
मुझ पर सदा करे प्रहार


प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल 
(प्रोत्साहन हेतू)

हर रोज मैं जीता रहा 
रोज यूं मरता रहा 
अस्तित्व तलाशता रहा 
मेरा जीवन 
------------
मेरा जीवन 
किसके लिए है 
पहले खुद जीना सीखू 
फिर दूसरे की सुध लूँ

प्रतियोगिता 1




 [ सीढ़ी भावो की - प्रतियोगिता नंबर 1 ]
मित्रों आपको समूह की दोनों [ घटोतरी मे व बढ़ोतरी मे ] मे 
अपने भाव लिखने है एक साथ ही तभी आपकी टिप्पणी शामिल हो पाएगी। 
१. पंक्तियाँ चार ही होनी चाहिए दोनों भावो मे 
२. दोनों भावो मे एक शब्द "सोच" का होना जरूरी है। 

इस प्रतियोगिता के विजेता है 

~Bahukhandi Nautiyal Rameshwari~ 

ठिठुरती ठण्ड में, देह काँपे ।
दो कतरन पा लूंगी ।
ये सोच गयी ।
वो बच्ची ।
--------------
नयी कतरन ।
पुराना नोच लिया ।
क्या सोच गयी थी ?
तन ढक, रहेगी सदैव कंपन । 

~सूर्यदीप अंकित त्रिपाठी~ 

जस करनी तस भरनी होगी
जनम जनम भू भटकेगा
अंत समय की
सोच मनु !!
\\-//-\\//-\\-//
सोच जनु
धरा-धरा बिच
रह जाएगा लेखा-जोखा 
काहे जतन जतन कर जोरी !!


~किरण आर्य~

सोच
बन आधुनिक
क्या है पाया
निज भी है गंवाया !
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आधुनिकता की अंधी होड़
अस्तित्व खोये वजूद
सोच बिसूरती
आज !


अन्य प्रस्तुतियाँ 


~बालकृष्ण डी ध्यानी~

सोच 
क्या सोचा 
सब खोया मैंने 
जो अभी अभी सोचा 
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चिंता तज फिर सोच 
जो तूने सोचा
वो होगा
तेरा


~डॉ. सरोज गुप्ता~

सोच 
नव वर्ष 
मानव की निराशा 
आशा में बदल पायेगा !
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नव वर्ष का इन्तजार क्यों ?
कहीं कोई बदलाव नहीं 
सब कुछ स्थिर 
निराशवादी सोच !

~Bahukhandi Nautiyal Rameshwari~

सोच रहा क्यूँ मन यही ।
हाथ भिन्न नॊच वही ।
संकीर्ण सोच कहीं ।
सोच बदल ।
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कद छोटा ।
सोच बड़ी कर ।
भय भरा नगर नगर ।
हाथ नहीं तू सोच बदल .

~किरण आर्य~

आज सोच बदल तू सोच बदल 
सोच को दे राह सही 
सोच इक सकारात्मक सी 
राह दिखाती सोच !
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अहम् हो छोटा 
सोच को कर विस्तृत 
अन्याय से आक्रोशित क्षुब्द मन 
बने सबल इक सकारात्मक सोच संग !


~नैनी ग्रोवर~

सोच 
अगर सही 
जीवन सुधर जाएगा 
अगर गलत, बिगड़ जाएगा.
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क्या सही क्या गलत 
कर खुद फैंसला 
बस ज़रा 
सोच