'त्याग' शब्द का प्रयोग करते हुए दोनों भाव [ घटोतरी और बढ़ोतरी ]
डॉ. सरोज गुप्ता
त्याग तेरा क्या लौटा पायेगी सरकार
पद्मश्री पद्मविभूषण जैसे तमगों से
मोल हेमराज शीश का
तिरंगा झंडा महान !
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जन्मा भारत -रत्न
रखते तिजौरी में सयत्न
जाग गया जिससे भारत भाग
ऐसे रत्न का तूने किया त्याग !
Pushpa Tripathi
त्याग की मूरत साक्षात स्वरूपा
धरणी माता सुख दायनी
हरित वेश में
तेजस्विता प्रदान
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परोपकार सेवा
सत्कर्म है धर्म
करता चल निःस्वार्थ भाव
त्याग का तू ले वरदान
किरण आर्य
जगत मोहमाया में क्यों उलझे मन
मिथ्या भ्रम सब रिश्ते नाते
सच्ची लौ रोशन कर
त्याग मोह चोला
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मन मीरा समान
खोकर सर्वस्व हरी मिले
सिर्फ पाना नहीं है औचित्य
प्रेम त्याग विश्वास भक्ति का नाम
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
त्याग कहते है जिसे सभी
उसने स्वार्थ नही होता
केवल होता बलिदान
इच्छाओ का
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मानो न मानो
रिश्तो में प्रेम का
और प्रेम में त्याग का
हमेशा ही विशिष्ट स्थान होता है
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इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की "
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बहुत ही सुन्दर भाव सभी के ...हार्दिक बधाई
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