( 'आस्था' शब्द के साथ घटोतरी/बढ़ोतरी में मित्रो के भाव चार पंक्ति में )
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
मैंने जीवन से चाहा बहुत
खोया पाया बहुत कुछ
बस कायम रही
मेरी आस्था
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मेरी आस्था
मेरा पूर्ण विश्वास
मेरा जन्म उसके लिए
मेरा सर्वस्व उसके आधीन है
संगीता संजय डबराल
अमावस की स्याह रात और,
आस्था के असंख्य दीप,
रौशन करते सदा,
संस्कारों को,
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आस्था के दीप
और श्रधा की बाती
जीवन के व्याप्त अँधेरे को,
पल पल रौशनी से भर जाती
बालकृष्ण डी ध्यानी
आस्था है
तन मन की
श्रद्धा उस मन की
धारणा है भगवा रंग की
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प्रतीति है उस दोषसिद्धि की
मत उस भक्ती की
ईमान वो प्रत्यय
है आस्था
किरण आर्य
आस्था जो है मन बसी
आत्मचिंतन से सदा वो फूली फली
संस्कारों एवं संस्कृति के रंगों से सजी
ईश् से कराये साक्षात्कार सकारात्मक भावो में हंसी
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नास्तिक को भी आस्तिक है बना जाती
लौकिक से अलौकिक की पहचान कराती
ध्यान मनन से बल पाती
आस्था ईश्वर का रूप
भगवान सिंह जयाड़ा
आस्था है,
तो भगवान हैं,
आस्था से गुरु ज्ञान ,
बिन आस्था सब जन अज्ञान ,
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प्रभु में आस्था नित राखिये ,
सुमिरन करो नित ध्यान .
दूर होय अज्ञान ,
उपजे ज्ञान
आशीष नैथाऩी 'सलिल'
पुष्प, जल
चढ़ाकर मिलती है
शान्ति अपार मन को
प्रभु ! यही है 'आस्था' मेरी ।।
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'आस्था' दम घुटके मर गयी,
जब देखा सीढ़ियों पर
बिलखता हुआ बच्चा
मन्दिर में ।।
प्रभा मित्तल
आस्था तो सबकी पूँजी है।
यह तो विश्वास है,
अदृश्य शक्ति है,
अमर है।
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आस्था है,
जीवन का आधार।
मेरे लिए पुरुषार्थ में,
यही भक्ति है शक्ति भी।
इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की "
https://www.facebook.com/groups/seedhi/
वाह प्रतिबिम्ब ... आपने कितना अद्भुत ब्लॉग बना दिया... उम्दा सोच दूरदृष्टि ...
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ReplyDeleteप्रति जी नमस्कार सभी मित्रो के भावो को सुंदर संग्रह रूप दे दिया आपने ये ब्लॉग बना ...........आभारी है हम सभी आपके की लिखने की चाह सीखने की प्रवृति और मित्रो के भावो को पढने की ख़ुशी को इक सुंदर रूप दिया है ............आपके सानिध्य और मार्गदर्शन में हम सभी सीखे प्रतिपल कुछ नया इसी आस के साथ ................शुभं