इस पोस्ट के लिए जो शर्त थी वह इस प्रकार थी
"भगवान" शब्द को अपने भावो [घटोतरी और बढ़ोतरी ] में चार पंक्तियों में प्रस्तुत करना था
घटोतरी की पहली पंक्ति में और बढ़ोतरी की अंतिम पंक्ति में इस शब्द का प्रयोग होना अनिवार्य था
दुर्गुणों को दूर कीजिये भगवान्,
सद्गुणों का दीजिये वरदान,
शरणागत,लीजिये शरण,
पालनहार,करुणानिधान!
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हे द्यानिधान,
हम अज्ञान नादान,
तेरी रहमत से अनजान,
करो कृपा"भगवान्"हो कल्याण!
गिरीश जोशी
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अरे नादान
क्यों है परेशान
कुछ करने की ठान
बाकी संभालने को है भगवान
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भगावान नहीं है महज एक नाम
वो तो है एक अहसास
हर पल तेरे पास
तू क्यों उदास?
प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
भगवान मुझसे तू क्यों है रूठा
तुझ पर विश्वास मेरा टूटा
कर कुछ अब चमत्कार
मैं करूँ नमस्कार
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मेरा विश्वास
हर पल बनाता
तू मुझको शक्ति देता
करूँ तेरा गुणगान हे भगवान
डॉ. सरोज गुप्ता
भगवान
मेरे प्रतिबिम्ब
मेरे मार्गदर्शक हो
तुम्हें मेरा सब समर्पित !
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मैं तुममें ही हूँ एकाकार
तुम मुझसे अछूते कैसे
जान पाऊंगी उत्तर
हे भगवान !
किरण आर्य
भगवान मोरे कृपा दृष्टि तोरी
प्राणों में जीवन संचार
जीवन संवारो मोरा
नाथ मेरे
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दया सागर
कष्ट निवारक सबके
नैया मोरी भंवर फंसी
हे भगवान मोरे लगाओ पार
Yogesh Raj
भगवान, मै जब होता हूँ परेशान,
कर लेता हूँ ये ध्यान,
मुझसे ज्यादा दुखी हैं,
लाखों करोड़ों इंसान,
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मुझे दो ज्ञान,
जीवन सुखी बनाने को,
फूल चढाने मंदिर जाऊं तुम्हारे,
अथवा दान पुन्य सेवा करू, भगवान.
इस पोस्ट में सभी भाव पूर्व में प्रकशित हो चुके है फेसबुक के समूह " सीढ़ी - भावों की "
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