Friday, January 18, 2013

प्रतियोगिता 1




 [ सीढ़ी भावो की - प्रतियोगिता नंबर 1 ]
मित्रों आपको समूह की दोनों [ घटोतरी मे व बढ़ोतरी मे ] मे 
अपने भाव लिखने है एक साथ ही तभी आपकी टिप्पणी शामिल हो पाएगी। 
१. पंक्तियाँ चार ही होनी चाहिए दोनों भावो मे 
२. दोनों भावो मे एक शब्द "सोच" का होना जरूरी है। 

इस प्रतियोगिता के विजेता है 

~Bahukhandi Nautiyal Rameshwari~ 

ठिठुरती ठण्ड में, देह काँपे ।
दो कतरन पा लूंगी ।
ये सोच गयी ।
वो बच्ची ।
--------------
नयी कतरन ।
पुराना नोच लिया ।
क्या सोच गयी थी ?
तन ढक, रहेगी सदैव कंपन । 

~सूर्यदीप अंकित त्रिपाठी~ 

जस करनी तस भरनी होगी
जनम जनम भू भटकेगा
अंत समय की
सोच मनु !!
\\-//-\\//-\\-//
सोच जनु
धरा-धरा बिच
रह जाएगा लेखा-जोखा 
काहे जतन जतन कर जोरी !!


~किरण आर्य~

सोच
बन आधुनिक
क्या है पाया
निज भी है गंवाया !
...................................
आधुनिकता की अंधी होड़
अस्तित्व खोये वजूद
सोच बिसूरती
आज !


अन्य प्रस्तुतियाँ 


~बालकृष्ण डी ध्यानी~

सोच 
क्या सोचा 
सब खोया मैंने 
जो अभी अभी सोचा 
*********************
चिंता तज फिर सोच 
जो तूने सोचा
वो होगा
तेरा


~डॉ. सरोज गुप्ता~

सोच 
नव वर्ष 
मानव की निराशा 
आशा में बदल पायेगा !
~~~~~~~~~~~~
नव वर्ष का इन्तजार क्यों ?
कहीं कोई बदलाव नहीं 
सब कुछ स्थिर 
निराशवादी सोच !

~Bahukhandi Nautiyal Rameshwari~

सोच रहा क्यूँ मन यही ।
हाथ भिन्न नॊच वही ।
संकीर्ण सोच कहीं ।
सोच बदल ।
------------
कद छोटा ।
सोच बड़ी कर ।
भय भरा नगर नगर ।
हाथ नहीं तू सोच बदल .

~किरण आर्य~

आज सोच बदल तू सोच बदल 
सोच को दे राह सही 
सोच इक सकारात्मक सी 
राह दिखाती सोच !
....................................
अहम् हो छोटा 
सोच को कर विस्तृत 
अन्याय से आक्रोशित क्षुब्द मन 
बने सबल इक सकारात्मक सोच संग !


~नैनी ग्रोवर~

सोच 
अगर सही 
जीवन सुधर जाएगा 
अगर गलत, बिगड़ जाएगा.
------ 
क्या सही क्या गलत 
कर खुद फैंसला 
बस ज़रा 
सोच


1 comment:

  1. सभी विजेताओं को हार्दिक बधाइयाँ... :)

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शुक्रिया आपकी टिप्पणी व् सराहना के लिए !!!